छत्तीसगढ़ में गरियाबंद जिले के खोखमा गांव में बच्चे टूटी फूटी झोपड़ी में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. गांव में 13 साल से प्राथमिक शाला संचालित है. भवन भी 13 साल पहले स्वीकृत हो चुका है, लेकिन आज तक अधूरा पड़ा हुआ है. ऐसे में ग्रामीणों द्वारा बनाई गई घास फूस की झोपड़ी में बैठकर बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. आपको बता दें कि इस सत्र में यहां करीब 55 बच्चे अध्ययनरत हैं. चिलचिलाती धूप हो या फिर कड़कड़ाती ठंड या फिर तेज हवा के साथ बारिश हर मौसम में बच्चों को ये सब इसी झोपड़ी में बैठकर झेलना पड़ता है. गांव के जिम्मेदार लोगों का कहना है कि इस हालात से कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन उसके बाद भी कोई कुछ करने को तैयार नहीं है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं.from Latest News छत्तीसगढ़ News18 हिंदी https://ift.tt/2MAwVrQ
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